“मेरा गांव मेरी सड़क” योजना के कार्यान्वयन, अनुश्रवण और मूल्यांकन हेतु दिशा-निर्देश 

 उत्तराखण्ड राज्य की प्राथमिकताएं, आधार और मानक मैदानी राज्यों से भिन्न हैं क्योंकि यह एक पर्वतीय राज्य है और इसके विषम भौगोलिक, आर्थिक और संसाधनिक हालातअलग  हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों से संपर्क विहीन योग्य बसावटों को जोड़ने की जरूरत महसूस की जा रही है। 

राज्य के दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्रों के स्थानीय लोगों को आम जनता से जोड़ने और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुख्य सड़क को आन्तरिक सड़कों से जोड़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है. इससे उनकी आजीविका में सुधार होगा, गाँवों की पैदावार को बाजार में लाया जा सकेगा, और गाँवों से पलायन रोका जा सकेगा। 

इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए “मेरा गाँव मेरी सड़क योजना” शुरू की गई है। 

2. योजना का उद्देश्य: 

  • असंयोजित बसावटों को मुख्य सड़क से जोड़ना; 
  • आजीविका में सुधार। 
  •  स्थानीय लोगों को काम मिलना 
  • पलायन में रोकने की योजना का प्रकार

 मेरा गाँव मेरी सड़क योजना राज्य सरकार, महात्मा गांधी नरेगा और अन्य योजनाओं के साथ मिलकर सड़कों का निर्माण करेगी। योजना के तहत बनाई जाने वाली सड़कों में कंक्रीट का उपयोग किया जाएगा। 

योजनान्तर्गत परियोजनाओं का चुनाव ग्राम सभा की खुली बैठक में किया जाएगा, जिसे पंचायत के किसी भी स्तर से अनुमोदन मिल सकता है। 

योजनाओं की स्थानीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए, पंचायत स्तर से अनुमोदित प्रस्ताव को खण्ड विकास अधिकारी को संबंधित जनपद के जिला विकास अधिकारी को भेजा जाएगा, साथ ही अपनी संस्तुति भी देनी होगी । 

विकासखण्डों से प्राप्त प्रस्तावों को जिला विकास अधिकारी संकलित कर मुख्य विकास अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को प्रस्तुत करेंगे. जिलाधिकारी द्वारा नियमानुसार प्रस्ताव पर स्वीकृति देकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

महात्मा गांधी नरेगा के दिशा-निर्देशों के अनुसार, चयनित योजनाओं को महात्मा गांधी नरेगा के लेबर बजट में शामिल करना अनिवार्य होगा। 

  • विकासखण्ड अधिकारी को विकासखण्ड स्तर पर योजनाओं को प्राप्त करना, बनाना और लागू करना होगा। 
  • योजना को स्थानीय स्तर पर लागू करने की पूरी जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होगी। 
  • योजना का राज्य स्तर पर अध्ययन और मूल्यांकन महात्मा गांधी नरेगा प्रकोष्ठ, ग्राम्य विकास विभाग का होगा। 

5. योजना का क्रियान्वयन, मूल्यांकन और अनुश्रवण: 

ग्राम्य विकास प्रदेश स्तर पर योजना क्रियान्वयन का नोडल विभाग होगा। योजना को राज्य स्तर पर ग्राम्य विकास विभाग, उत्तराखण्ड शासन के 

सचिव द्वारा संचालित किया जाएगा। 

जनपद स्तर पर योजनाओं का नियोजन, कार्यान्वयन और अनुश्रवण पूरी तरह से जिलाधिकारी की जिम्मेदारी होगी। योजनाओं के नियोजन, कार्यान्वयन और अनुश्रवण के लिए जिलाधिकारी आवश्यक निर्णय लेंगे और कार्यों की समीक्षा करेंगे। विकासखण्ड अधिकारी पूरी तरह से 

विकासखण्ड स्तर पर योजनाओं का नियोजन, कार्यान्वयन और अनुश्रवण करेगा। योजनाओं के नियोजन और कार्यान्वयन के लिए, खण्ड विकास अधिकारी संगत दिशा-निर्देशों के अनुसार आवश्यक निर्णय लेंगे, कार्यों की समीक्षा करेंगे और परियोजना प्रस्तावों को स्क्रीनिंग करके संबंधित जनपद को भेजेंगे। 

मनरेगा के दिशा-निर्देशों से योजना में गैप फिलिंग की जाएगी। 

6: योजना की वित्तीय व्यवस्था: 

“मेरा गाँव मेरी सड़क योजना हेतु राज्य सरकार 50 प्रतिशत धनराशि देगी।” 

शेष 50% धन को केंद्राभिसरण या युगपितीकरण के माध्यम से महात्मा गाधी नरेगा, सांसद निधि, विधायक निधि, CSR, स्वायत्तशासी संस्थाओं और अन्य माध्यमों से प्राप्त किया जाएगा। 

7. कार्यदायी संस्था

 योजना के तहत 1 किमी0 तक की सड़कें संबंधित विकासखण्ड से बनाई जाएंगी, जबकि 1 किमी0 से अधिक की सड़कें ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग से बनाई जाएंगी। 

8. पारदर्शिता और जिम्मेदारी— 

महात्मा गांधी नरेगा सामाजिक सम्प्रेक्षण प्रणाली के माध्यम से काम की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाएगा और संबंधित मुद्दों पर स्वतंत्र फीडबैक प्राप्त किया जाएगा। 

दस्तावेज: 

कार्यों का पूरा भौतिक और तकनीकी सत्यापन जिला अभियन्ता, महात्मा गांधी नरेगा अथवा सहायक अभियन्ता, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण अथवा जिलाधिकारी द्वारा नामित अधिशासी/सहायक अभियन्ता द्वारा किया जाएगा। 

योजनान्तर्गत किये जाने वाले कार्यों का पूरा भौतिक एवं तकनीकी सत्यापन जनपद के मुख्य विकास अधिकारी द्वारा किसी तकनीकी अधिकारी के साथ मिलकर किया जाएगा। 

योजना में किये जाने वाले कार्यों का शत-प्रतिशत Microsoft NRGs में किया जाएगा। 

राज्य स्तर पर, ग्राम्य विकास सचिव, उत्तराखण्ड शासन द्वारा समय-समय पर जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग या बैठकों के माध्यम से इस योजना से जुड़े कार्यों की समीक्षा की जाएगी। 

9. दिशानिर्देशों का पालन करना 

निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे, और अगर भविष्य में उन्हें बदलने या प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता होगी, तो शासन को इसका अधिकार होगा। 

शासन का निर्णय अंतिम होगा, जबकि इस योजना के दिशा-निर्देशों से संबंधित स्पष्टीकरण या इन दिशा-निर्देशों में दिये गये प्राविधानों की व्याख्या प्रस्तुत की जाएगी। 

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